गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

गरल..

‎.....कौन जानता है ,
'गरल' और 'अमृत' का स्वाद ..?
शायद गरल 'मीठा' हो ..,
और अमृत 'कड़वा' ..!!
गरल एक सत्य है ..,
मृत्यु जैसा ..!
जो है अनिवार्य..!!
और.. अमृत है बस.. 'चाह'..!,
कुछ पलों,दिनों, और वर्षों की ..!!
चाह है असीमित..,
उम्र सीमित..!
चुनना है मुझे उन दोनों में से कुछ एक..,
तो मैं चुनूंगा- "मिठास" !!
'कडवाहट' के साथ जी कर भी क्या करूँगा मैं ॥??

-----"सभाजीत " सौरभ"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें