गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

संस्कृति

.. "भारतीय संस्कृति "के बारे में मेरे ये विचार _____
मैं नहीं कोई अंग..
मैं तो आत्मा हूँ ,
जलने , कटने , मरने से मैं क्योँ डरुंगा ?
मैं नहीं कोई रंग ..,
मैं तो आसमां हूँ ..,
एक कोना भरने से क्या पूरा भरूँगा ?
मैं नहीं कोई राह ...,
मैं तो एक दिशा हूँ ..,
क्या किसी एक लक्ष्य पर जा कर रूकूंगा ?
मेरी सीमाओं को
ना परिभाषित करो..,
मैं तो हूँ अनंत , युग युग तक जियूँगा..!!
... सभाजीत " सोरभ"

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