सोमवार, 1 जुलाई 2019

  

---------- Forwarded message ---------
From: ANKUR MEHTA <ankurmehta42557@gmail.com>
Date: Fri, Oct 5, 2018 at 4:54 AM
Subject: पारिवारिक विवाद सुलझाने के सम्बन्ध में
To: <sharma.sabhajeet@gmail.com>


पूज्य पिता जी ,
             सादर  प्रणाम !
अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़  रहा है कि आपके द्वारा  मुझ  पर लगाये गये सभी आरोप झूठे और निराधार हैं ! जिससे मै बहुत आहत हुआ हूँ !
मेरे या मेरे किसी भी परिवरिक सदयस के द्वारा कभी भी कोई मांग नहीं की गई ! जैसा की बार बार अपने अपनी ईमेल में उल्लेख किया है !
हमारे द्वारा २ सितंबर भेजे गए अंतिम व्हाटस एप्प मैसेज के द्वारा आपको सूचना दी जा चुकी है कि बैठक सिर्फ और सिर्फ नैनी में हो  पायेगी ! और इसके बारे में मै प्रभुता से भी बात कर  चूका हूँ! मेरे  घर के दरवाजे हमेशा प्रभुता के लिए खुले है  !
और रही बात वैवाहिक रजिस्ट्रेशन की तो यह कार्य तभी पूर्ण हो पायेगा जब प्रभुता अपने घर वापस आ जाएगी !
आपसे अनुरोध है की शीघ अति शीघ आकर इस समस्या को निपटने की कृपा करे !
 
अंकुर मेहता 






-------- Forwarded message ---------
From: ANKUR MEHTA <ankurmehta42557@gmail.com>
Date: Fri, Oct 5, 2018 at 4:54 AM
Subject: पारिवारिक विवाद सुलझाने के सम्बन्ध में
To: <sharma.sabhajeet@gmail.com>


पूज्य पिता जी ,
             सादर  प्रणाम !
अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़  रहा है कि आपके द्वारा  मुझ  पर लगाये गये सभी आरोप झूठे और निराधार हैं ! जिससे मै बहुत आहत हुआ हूँ !
मेरे या मेरे किसी भी परिवरिक सदयस के द्वारा कभी भी कोई मांग नहीं की गई ! जैसा की बार बार अपने अपनी ईमेल में उल्लेख किया है !
हमारे द्वारा २ सितंबर भेजे गए अंतिम व्हाटस एप्प मैसेज के द्वारा आपको सूचना दी जा चुकी है कि बैठक सिर्फ और सिर्फ नैनी में हो  पायेगी ! और इसके बारे में मै प्रभुता से भी बात कर  चूका हूँ! मेरे  घर के दरवाजे हमेशा प्रभुता के लिए खुले है  !
और रही बात वैवाहिक रजिस्ट्रेशन की तो यह कार्य तभी पूर्ण हो पायेगा जब प्रभुता अपने घर वापस आ जाएगी !
आपसे अनुरोध है की शीघ अति शीघ आकर इस समस्या को निपटने की कृपा करे !
 
अंकुर मेहता 




प्रिय श्री अंकुर जी , 

     आपके द्वारा ,  अपनी  सदाशयता की भाषा के साथ , सभी तथ्यों को निराधार कहना , एवं असत्य घोषित  करना  ,  आपके पत्र में उल्लेखित ,  विषय , से मेल नहीं खाता है , जिसमें आपने , विशिष्ट रूप से , परिलक्षित करते हुए ,  " विवाद सुलझाने "   को ,  पत्र  का  आधार बनाया है ! आपके अनुसार , यदि कोई  तथ्य  आधार रूप में , उत्पन्न ही नहीं  हुए , तो फिर ' नैनी आकर विवाद सुलझाने "  की बाध्यता आप ने क्यों व्यक्त की है ? 

    ,  मैंने अपने पत्रों में घटनाओं का हवाला देकर ,  स्थितियां स्पष्ट की हैं ,,  ! मेरा उद्देश्य ना तो किसी को  आहत  करने का है , और  ना दोषारोपण का ! 

   जहां तक किसी मांग की बात है , उसका एक आडियो मेरे पास उपलब्ध है , जिसमें आपने   मांग हेतु ,  धन लेने को उचित बताते हुए ,  प्रभुता से , मेरे बारे में  व् मेरी पत्नी  के बारे में ,  अपशब्द  कहते हुए चर्चा की है !   यदि प्रभुता के माता पिता , आपके लिए वास्तव में आदर के पात्र हैं , तो उनके लिए , इस तरह के अपशब्द एवं मांग  व्यक्त नहीं होने चाहिए थे ! 

  खेद का विषय है  की माह , जुलाई में  , आप यद्यपि  अपनी  माताजी के साथ ,  नैनी आये , किन्तु तब आपने   अपने आगमन की  हमें सूचना , चर्चा की पहल हेतु नहीं दिए ,  बल्कि इसके विपरीत ,  हमारे द्वारा पूछे जाने पर ,  आपके पिताजी द्वारा यह बताया गया की आप नैनी आये ही नहीं है !   दिनांक १६-७-१८ को मैं जब स्वयं  , नैनी गया भी ,  तब भी  आपके परिवार ने इस बाबत कोई चर्चा नहीं की , ! 
  बल्कि दूसरी और ,  , आप नैनी आने का प्रोग्राम निरंतर टालते रहे ,,और  समयानुसार ,  विषयान्तर्गत ,   उल्लेखित, अपने कथित विवाद को ,    अपने स्तर पर , सुलझाने हेतु कभी  , गंभीर नहीं हुए ! 

   इन परिस्थितियों , में , तीन माहों से  , अपनी पुत्री को , मानसिक व्यथा झेलते हुए  देख कर , और आपके द्वारा निरंतर उसकी अवहेलना को देखते हुए , मैं स्वयं अत्यंत  " आहत " हूँ ,,! आपके द्वारा , एवं आपके परिवार के द्वारा  अपनी पुत्री के प्रति  किये गए ,  ,  असंगत व्यहार  को देख कर मेरा स्वास्थ्य भी निरंतर गिरा है , एवं सामाजिक रूप से मैं  खुद को आहत महसूस कर रहा हूँ !  

   उक्त सभी तथ्यों के बाद भी , चूंकि , आपका विवाह मेरी पुत्री के साथ ,  समाज के लोगों के बीच सतना में  संपन्न हुआ है , इसलिए ,  मेरा निवेदन है की आप अपने माता पिता के साथ , सतना आएं , और शाशन के  नियमान्तर्गत   , अपने विवाह का  पंजीयन करके , प्रमाणपत्र प्राप्त करें , जो की कानूनन ,  वरपक्ष का ही दायित्व है !  मुझे विश्वाश है , की आप स्थितियों को समझते हुए , , आपसी विश्वाश , सुरक्षा , और दायित्व  को पूर्ण करने  का कार्य  जरूर करेंगे ,, ताकि आपका दामपत्य जीवन सुखमय हो सके , व् मेरी  पुत्री  आपके आश्रय में स्वयं को , सुरक्षित महसूस कर सके ! 

  स्नेहाशीष सहित ,,, दीपावली की मंगल कामनाओं के साथ,  , आपके सतना आगमन की प्रतीक्षा में , 

---सभाजीत


 प्रिय श्री अंकुर मेहता , 

    अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़ रहा है की मेरे द्वारा  दिनांक ३० जुलाई २०१८ को आपको ,  लिखे गए  पत्र के बावजूद  , आज दिनांक २९ -९-२०१८ तक , दो माह की अवधि व्यतीत हो जाने के बाद भी , आप  आवश्यक  वैवाहिक रजिस्ट्रेशन हेतु ना तो अभी तक   सतना आये , और ना ही ,  दिल्ली में अपनी पत्नी प्रभुता शर्मा  के साथ  किये गए अमानुषिक  व्यवहार ,    के निदान हेतु ,  तथा ,  भविष्य में उसे सुरक्षा  का   आश्वाशन देने  हेतु , सतना आकर , सामाजिक बैठक में आपसी वार्तालाप में  सम्मलित  हो कर   सदाशय  का  कोई कदम उठाये ! जबकि आपको सतना बुलाने हेतु , बार बार आपके नैनी स्थित माता पिता के मोबाइल पर भी  कई बार सूचित किया जा चुका है !
   , एतदर्थ ,   हमारे द्वारा , एक सितम्बर के    भेजे  गए वाट्सअप के अंतिम  मेसेज के अनुसार  भी,  आपको , अपने माता पिता के साथ २ सितम्बर को सतना आने हेतु उनके मोबाइल पर ,  विनम्र  निवेदन भी किया गया  !  
      आपके इस कृत्य से , अपनी पत्नी के प्रति अवहेलना , और उसे पत्नी का दर्ज़ा प्रदान ना किये जाने की आपकी पूर्व  सुनियोजित , मंशा के प्रति मेरा विश्वाश और दृढ होता जा रहा है ! जैसा की आपको विदित ही होगा , वैवाहिक रजिस्ट्रेशन सिर्फ सतना में ही संभव है ,  जिसमें आपको अपने माता पिता  के साथ , सक्षम  रजिस्ट्रेशन अधिकारी के समक्ष सतना  उपस्थित होना अनिवार्य है !  और उसके  बिना ,   , मेरी बेटी तथा हमारे  सारे  परिवार को  सामाजिक   व मानसिक रूप से ,    असुरक्षा की भावना  के  साथ   , निरंतर   मानसिक प्रताड़ना का  भी  शिकार होना पड़ रहा है !

        आपसे  पुनः एक बार निवेदन है की आप  शीघ्रातिशीघ्र  , अपने परिवार के साथ सतना आकर , वैवाहिक रजिस्ट्रेशन का कार्य पूर्ण करवाए , एवं  अपने   व्यवहार के कारण उत्पन्न हुए , विवाद को  सामाजिक बैठक में बैठ कर सुलझाने का कदम उठायें ताकि मेरी बेटी  प्रभुता शर्मा , पूर्ण आत्मविश्वाश , एवं सुरक्षा की भावना के साथ ,  अपने पैतृक घर से ,   विदा हो कर , वापिस  आपके संरक्षण में ,  अपने ससुराल जा सके ! 

   
    सादर  एवं सस्नेह , 

      सभाजीत शर्मा  ,

SABHAJEET1 sharma.sabhajeet@gmail.com

Sun, Sep 30, 2018, 1:10 AM
to ANKUR
 प्रिय श्री अंकुर मेहता , 

    अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़ रहा है की मेरे द्वारा  दिनांक ३० जुलाई २०१८ को आपको ,  लिखे गए  पत्र के बावजूद  , आज दिनांक २९ -९-२०१८ तक , दो माह की अवधि व्यतीत हो जाने के बाद भी , आप  आवश्यक  वैवाहिक रजिस्ट्रेशन हेतु ना तो अभी तक   सतना आये , और ना ही ,  दिल्ली में अपनी पत्नी प्रभुता शर्मा  के साथ  किये गए अमानुषिक  व्यवहार ,    के निदान हेतु ,  तथा ,  भविष्य में उसे सुरक्षा  का   आश्वाशन देने  हेतु , सतना आकर , सामाजिक बैठक में आपसी वार्तालाप में  सम्मलित  हो कर   सदाशय  का  कोई कदम उठाये ! जबकि आपको सतना बुलाने हेतु , बार बार आपके नैनी स्थित माता पिता के मोबाइल पर भी  कई बार सूचित किया जा चुका है !
   , एतदर्थ ,   हमारे द्वारा , एक सितम्बर के    भेजे  गए वाट्सअप के अंतिम  मेसेज के अनुसार  भी,  आपको , अपने माता पिता के साथ २ सितम्बर को सतना आने हेतु उनके मोबाइल पर ,  विनम्र  निवेदन भी किया गया  !  
      आपके इस कृत्य से , अपनी पत्नी के प्रति अवहेलना , और उसे पत्नी का दर्ज़ा प्रदान ना किये जाने की आपकी पूर्व  सुनियोजित , मंशा के प्रति मेरा विश्वाश और दृढ होता जा रहा है ! जैसा की आपको विदित ही होगा , वैवाहिक रजिस्ट्रेशन सिर्फ सतना में ही संभव है ,  जिसमें आपको अपने माता पिता  के साथ , सक्षम  रजिस्ट्रेशन अधिकारी के समक्ष सतना  उपस्थित होना अनिवार्य है !  और उसके  बिना ,   , मेरी बेटी तथा हमारे  सारे  परिवार को  सामाजिक   व मानसिक रूप से ,    असुरक्षा की भावना  के  साथ   , निरंतर   मानसिक प्रताड़ना का  भी  शिकार होना पड़ रहा है !

        आपसे  पुनः एक बार निवेदन है की आप  शीघ्रातिशीघ्र  , अपने परिवार के साथ सतना आकर , वैवाहिक रजिस्ट्रेशन का कार्य पूर्ण करवाए , एवं  अपने   व्यवहार के कारण उत्पन्न हुए , विवाद को  सामाजिक बैठक में बैठ कर सुलझाने का कदम उठायें ताकि मेरी बेटी  प्रभुता शर्मा , पूर्ण आत्मविश्वाश , एवं सुरक्षा की भावना के साथ ,  अपने पैतृक घर से ,   विदा हो कर , वापिस  आपके संरक्षण में ,  अपने ससुराल जा सके ! 

   
    सादर  एवं सस्नेह , 

      सभाजीत शर्मा  ,



प्रिय श्री अंकुर  मेहता , 

अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़  रहा है की , आपका व्यवहार मेरी पुत्री प्रभुता शर्मा , ( अब आपकी पत्नी - प्रभुता मेहता ) के साथ निरंतर , विवाह के बाद से ही , अमानवीय , और हिंसात्मक रहा है ! 
जैसा की उसने बताया की विवाह के बाद से ही आप ने उसे समुचित दहेज़ ना लाने , विवाह में व्यवस्था में दोष दर्शाने , के बहाने उलाहने देने शुरू किये , और उसे एक पत्नी की बजाय , एक नौकरानी के रूप में कार्य करने के लिए उत्पीड़ित किया तथा उसे अपने माता पिता - भाई बहिन के साथ साथ सभी मातृ  पक्ष से सम्बन्ध तोड़ देने और मोबाइल पर बात ना  करने के लिए आदेशित किया !

  जबकि आपके साथ , प्रभुता का विवाह , आपके द्वारा सतना आकर , उससे व्यक्तिगत रूप से मिल लेने , तथा उसकी सम्पूर्ण , शैक्षिक डिग्रियां समझ लेने , तथा , एक घंटे के निरंतर संतोषप्रद  बातचीत एवं आपसी समझ के स्थापित होने के बाद ही , अंतिम रूप से सतना निवासी , आपके रिश्तेदार श्री अजय दानायक के भरहुत नगर निवास पर , मातृ  पक्ष को बुला कर ,  आपके माता पिता की सहमति , के साथ ही तय हुआ ! इस बैठक में ही , विवाह की समस्त रीत रिवाज , तथा व्यवस्था के सभी कार्य ,  आपके माता पिता के वांछित रीत रिवाज़ को पूर्ण करने के लिए हमें , यानी सभाजीत शर्मा एवं श्रीमती कनक शर्मा को लिखित रूप से निर्देशित किया गया ! उल्लेखनीय है की हमारा परिवार पढ़ा लिखा है , और हम किसी डाबरी के लेन  देन  को स्वीकार नहीं करते हैं , और ना यह हमारे संस्कारों , और हमारे समाज में मान्य है ,  इसलिए विवाह तय होते समय , आपके रिश्तेदार श्री अजय दानायक एवं आपके माता पिता श्री अजय कृष्ण मेहता ,  श्रीमती सरिता मेहता ,   के सामने ही यह स्पष्ट कर दिया गया था की हम कोई डाबरी का लेन  देन  नहीं करते हैं  ! आपके माता पिता श्री , अजयकृष्ण मेहता तथा श्रीमती सरिता मेहता तथा स्वयं आपने   तभी यह भी बताया था की आप  एन  थाइव ग्लोबल सोलुशन प्राइवेट लिमिटेड  नोयडा में सीनियर एनालिस्ट के पद पर कार्य करते हैं , और विवाह बाद आप वहां पत्नी के साथ रहने की समुचित आवास व्यवस्था कर रहे हैं  , जो दामपत्य जीवन के लिए वन  बी एच  के ,  के फ्लेट के रूप में ,  पर्याप्त होगी !

    आपके माता पिता के द्वारा , श्री अजय दानायक को , विवाह हेतु सभी व्यवस्थाओं को आपकी और से देखने समझने , और एप्रूव करने के लिए प्रतिनिधि के रूप में नामित किया , जिनके साथ  मिल कर उनकी संतुष्टि के अनुरूप , यथा संभव सभी उच्च स्तर  की वैवाहिक व्यवस्थाएं मेने की ! इन्ही व्यवस्थाओं के अंतर्गत , सामान्य तौर  से अलग , आप एक दिन पूर्व ही अपनी बरात ले कर ११ फरवरी को , काशी एक्सप्रेस के स्लीपर कोच से , नैनी से , ट्रेन से सतना आये , और हमने आपको जनवासे में उपलब्ध सभी उचित  सुविधाएं दी !  वर पक्ष में उपस्थित करीब ५० बारातियों के समक्ष , एवं वधु पक्ष के भी क़रीब  ५० घरातियों के समक्ष , तथा सतना नगर के कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति में , यह विवाह आकर्षक और पूर्ण सुविधाओं के साथ , संतोषजनक रूप से संपन्न हुआ , जिसके साक्ष्य आज भी सतना के नागरिक भी हैं ! किन्तु विवाह के दौरान भी मैंने तथा कई अन्य उपस्थित लोगों ने  यह परिलक्षित किया की आप का व्यवहार सामान्य नहीं है और आप विवाह में रूचि नहीं ले रहे हैं !

   विवाह के बाद , विवाह के वैधानिक मैरिज सार्टिफिकेट को सतना आकर , नगर निगम में , औपचारिकताएं पूर्ण कर उसे प्राप्त करने में भी आपने कोई रूचि नहीं दिखाई , और ना आपने इस हेतु कोई स  मुचित  कदम उठाया और ना ही  सतना आये ! मेरी बेटी को आपके माता पिता दूसरी विदा करवाकर १३ अप्रैल को  नैनी ले गए , जहाँ करीब एक माह तक वह आपके माता पिता के साथपूर्ण संतोषजनक रूप से ,    रही ! इस बीच आपने फोन पर भी मेरी बेटी से कहा की आपको विवाह में रूचि नहीं थी , और और आप मेरी बेटी को नैनी आकर नहीं ले जायेंगें ! इस स्थिति में मेरी बेटी को आपकी माताजी , श्रीमती सरिता मेहता , खुद साथ ले कर , दिल्ली गयीं , जहां आप का निवास , नोयडा के  छलेरा गावं में , श्री अमित चौहान के चाल नुमा मकान के कमरा नंबर १९ में था ! 

      मेरी बेटी ने उस अपर्याप्त जगह में , भीषण गर्मी के बीच , अपर्याप्त व्यवस्था के बीच ही खुद को एडजस्ट किया , तथा उसने अपने एक कमरे के इस मकान को ही गृहस्थी के अनुरूप सजाने की कोशिश की , किन्तु आप ने इस पर भीषण , आपत्ति  प्रकट की , तथा अपने मोबाइल , और लेप टॉप  को कभी भी  छूने के लिए मना किया और कहा की वे आपके नित्तांत व्यक्तिगत चीजें है जो किसी भी हालत में प्रभुता से शेयर नहीं कर सकते ! !  आपने कहा की उसको आपकी वस्तुएं छूने का अधिकार नहीं  और वह खुद को एक नौकरानी के रूप में ही समझे ,,,ना की पत्नी के रूप में ! इस कमरे में ना तो गृहस्थी का सामान था और ना अन्य जरूरी उपयोग का  सामान अतः जानकारी मिलने पर मैं दिल्ली गया ,,और आपकी पसंद के अनुरूप अत्यंत जरूरी सामान मैंने आपकी मांग के हिसाब से अट्टा बाजार सेक्टर १६ से खरीद कर आपके कमरे में पहुंचाए , जिसमें एक फ्रिज  , एक  वाशिंग मशीन , एक  कूलर और सोने बैठने के लिए एक दीवान सह पलंग था  !

  इस सामान की प्राप्ति पर भी आप संतुष्ट नहीं हुए , और आपने मेरी बेटी को गाली दीं तथा कहा की सामान कचरा है ! आपने उसके मां पिता को भी अपशब्द कहे , और मातृ पक्ष   से मिले 
 अन्य सामानो को भी  कचरा कह कर असंतुष्टि जताई ! आप ने उसे कहा की आप उसे दिल्ली नहीं रखना चाहते और वापिस सतना या इलाहाबाद भेज देना चाहते हैं ! इससे पूर्व भी आप उसे इस तरह प्रतिदिन कोई ना कोई उलाहना देकर , उसे मानसिक प्रताड़ना देते रहे और दिल्ली छोड़ कर वापिस सतना जाने के लिए बाध्य करते रहे  ! आपने कभी दिल्ली में कहीं उसे समय देने , उससे आपसी बात करने , आपस में एकदूसरे को समझने का कोई समय नहीं दिया और ना ही ऐसा कोई अवसर , जिसमें अवकाश के दिन भी दोनों कहीं अकेले में , सार्वजनिक स्थानों पर जा कर बात कर  सकें ! इसके विपरीत , दिल्ली जाने के बाद , तुरंत ही आप ने उस पर दबाव बनाया की वह खुद नौकरी करना शुरू करे , और अपने लिए खुद आजीविका का इंतजाम करे क्यूंकि आप उसका खर्चा वहां नहीं उठा  पाएंगे ! ! जबकि मात्र एक माह में उसे आपने ना तो घर से बाहर कहीं खुद  जाने दिया , और ना ही दिल्ली के आवागमन के सिस्टम से अवगत कराया  ! निरंतर बार बार मानसिक प्रताड़नाओं से , वह दिल्ली में अस्वस्थ भी हुई !
   उसने बताया की ,  इसी दौरान आपने क्रुद्ध हो कर ,  एक दिन उसका गला दबाया , और मारपीट भी की ! इन स्थितियों में अपनी सुरक्षा और बचाव के लिए उसने आपकी उसके साथ हुई वार्तालाप की रिकार्डिंग की जिसमें आपने उसके साथ अभद्र बात चीत की है  , गाली गलौज किया  है , और उसके माता पिता को भी अपशब्द कहे हैं  !, आपने उसे भयभीत भी किया की अगर वह , अपने साथ हुई मारपीट अथवा हिंसा की बातें किसी को बताएगी , या पुलिस में रिपोर्ट करेगी तो आप उसके परिवार के साथ  उसको नष्ट कर देंगे क्यूंकि आपकी पहुँच हर जगह है ! !   भय की स्थिति में उसने  अपनी निकटस्थ , बालयकाल की सहेली से बता कर पूछा की वह ऐसी दुरूह स्थितियों में क्या करे ! उसने समय समय पर आपके पिता को फोन करके , आपको समझाने तथा इस हिंसात्मक और मानसिक प्रताड़ना के  व्यवहार को रोकने के लिए निवेदन किया तथा वहां उपस्थित माँ  को वस्तु स्थिति  बतायी ,लेकिन  वे चुप रह कर अपनी मौन स्वीकृति ही जताते रहे ! मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त  हो कर उसने अपने परिवारवालों से भी बात की और अपनी सुरक्षा हेतु , राय लेने ,  अपने साथ हुए वार्तालाप को शेयर किया ! इस पर आपने उसका मोबाइल भी छीन लिया और उसे दिनांक ९-७-२०१८ को मारपीट कर , घर से , भूखा ही बाहर निकाल दिया ! 
 इन परिस्थितियों में , उसनेएक अन्य मोबाइल पर ,  अपने चाचा , कलश सत्यार्थी , जो की दिल्ली में ही रहते हैं , अपनी बुआ श्रीमती कुमकुम , तथा मुझे भी सूचित किया और स्थिति की जानकारी होने पर मैंने श्री कलश को कहा की वे छलेरा जा कर , आप की माँ  से बात करके , उसे अपने घर ले आएं और तब वे उसे   अपने घर ले गए ! ! जहाँ से वह बाद में अपने भाई के साथ सतना चली आयी !  यहां आने पर मैंने पाया की वह बहुत ' सकते ' में हैं , और  ' भयभीत '  है !

सतना आने  के बाद , मैंने आपके माता पिता से नैनी फोन पर संपर्क साध कर , उनसे प्रार्थना की , कि  वे आपको नैनी बुलाएं , और वहां सामाजिक रूप से आप और प्रभुता बैठ कर अपनी समस्याओं की चर्चा सबके सामने करके कोई हल निकालें , जिससे एक घर ना टूटे , दाम्पत्य जीवन सुचारु रूप से चल सके ! मैं इस हेतु स्वयं  ,  दिनांक १६-७-२०१८ को , नैनी जाकर आपकी माताजी का स्वास्थ और हालचाल ले कर निवेदन किया की इस बात को शीघ्र निबटाएँ ! बाद में फोन पर फिर उनसे अनुरोध किया , और सतना निवासी श्री अजय दानायक को भी स्थिति की जानकारी दे कर , सामाजिक बैठक कर किसी हल पर पहुँचने का निवेदन किया ,,किन्तु आपके द्वारा इस बैठक में आने की असमर्थता दिखाई गयी !  यही नहीं , , पुणे स्थित मेरी बड़ी बेटी प्रशश्ति ने भी आपसे निवेदन कर पूछा की भविष्य में किस तरह का रवैय्या आप रखना चाहते हो और इस विवाद का हल निकालने कब वहां आ रहे हो , किन्तु आपने उस पर भी कोई संतुष्टिजनक उत्तर नहीं दिया !  

  लड़की का पिता होने के नाते , तथा , आपके लिए पितातुल्य होने के नाते , मैं आपसे निवेदन करता हूँ की आप अपने व्यवहार को ठीक करें , अपनी पत्नी को कोई मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना ना दें , और वर्षों पूर्व समाप्त हो गयी प्रथाओं के अंतर्गत , बेटी को ' डाबरी 'एवं दहेज़  के लिए प्रताड़ित ना करें , उसे पूरी  सुरक्षा  प्रदान करें , और उसे अपनी पत्नीवत साथ में दिल्ली रखें , उसे नौकरानी की तरह व्यवहार ना करें , !
वर्तमान स्थिति में हुई घटनाओं , और वारदातों को देखते हुए , यह जरूरी है की आप सामाजिक रूप से आपसी निदान की बैठक में अतिशीघ्र  आएं , जो अब सतना में ही उन लोगों की मध्यस्थता में आयोजित होगी , जो विवाह के साक्ष्य हैं ! 
     मुझे विश्वाश है , की आधुनिक सभ्य हुए समाज में , हिंसा   की कोई गुंजाइश अब आप नहीं देंगे  , और लिखित  आश्वश्त करेंगे की आप के संरक्षण में एक नारी सुरक्षित है , यही आज की न्याय व्यवस्था और कानून की भी मंशा है , !

 शुभकामनाओं , शुभाशीष के साथ , 

सभाजीत शर्मा