सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

कठोरता का प्रतीक चिन्ह ,,,
' पाषाण ' होता है ,,' पुरुष ',,!
और स्त्री होती है , ,,,,
' प्यार ' की एक 'छैनी ',,,!!

हर छैनी ,, 
काटती है , छांटती है , तोड़ती है , एक 'पाषाण ' को ,
जीवन भर , ,,,,
और गढ़ देती है उसे ,
एक ' आकार ' में ,,,!!

कुछ बनाती हैं ,,आकर्षक मूर्तियां ,
कुछ अनगढ़ ,,, बेडौल,, आकृतियां ,,,!!
और कुछ ' छार छार कर देती है उसे तोड़ते,,तोड़ते ,,!!

हर हालत में अस्तित्व खो देता है पाषाण ,,
अपने ' मूल- रूप ' को खोकर ,,!

किन्तु छैनी रहती है,,,
सदा अस्तित्व में ,
अपनी शाश्वत ' धार ' के साथ,,,!!

--- सभाजीत