sourabh

सोमवार, 1 जुलाई 2019

  

---------- Forwarded message ---------
From: ANKUR MEHTA <ankurmehta42557@gmail.com>
Date: Fri, Oct 5, 2018 at 4:54 AM
Subject: पारिवारिक विवाद सुलझाने के सम्बन्ध में
To: <sharma.sabhajeet@gmail.com>


पूज्य पिता जी ,
             सादर  प्रणाम !
अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़  रहा है कि आपके द्वारा  मुझ  पर लगाये गये सभी आरोप झूठे और निराधार हैं ! जिससे मै बहुत आहत हुआ हूँ !
मेरे या मेरे किसी भी परिवरिक सदयस के द्वारा कभी भी कोई मांग नहीं की गई ! जैसा की बार बार अपने अपनी ईमेल में उल्लेख किया है !
हमारे द्वारा २ सितंबर भेजे गए अंतिम व्हाटस एप्प मैसेज के द्वारा आपको सूचना दी जा चुकी है कि बैठक सिर्फ और सिर्फ नैनी में हो  पायेगी ! और इसके बारे में मै प्रभुता से भी बात कर  चूका हूँ! मेरे  घर के दरवाजे हमेशा प्रभुता के लिए खुले है  !
और रही बात वैवाहिक रजिस्ट्रेशन की तो यह कार्य तभी पूर्ण हो पायेगा जब प्रभुता अपने घर वापस आ जाएगी !
आपसे अनुरोध है की शीघ अति शीघ आकर इस समस्या को निपटने की कृपा करे !
 
अंकुर मेहता 






-------- Forwarded message ---------
From: ANKUR MEHTA <ankurmehta42557@gmail.com>
Date: Fri, Oct 5, 2018 at 4:54 AM
Subject: पारिवारिक विवाद सुलझाने के सम्बन्ध में
To: <sharma.sabhajeet@gmail.com>


पूज्य पिता जी ,
             सादर  प्रणाम !
अत्यंत खेद के साथ मुझे लिखना पड़  रहा है कि आपके द्वारा  मुझ  पर लगाये गये सभी आरोप झूठे और निराधार हैं ! जिससे मै बहुत आहत हुआ हूँ !
मेरे या मेरे किसी भी परिवरिक सदयस के द्वारा कभी भी कोई मांग नहीं की गई ! जैसा की बार बार अपने अपनी ईमेल में उल्लेख किया है !
हमारे द्वारा २ सितंबर भेजे गए अंतिम व्हाटस एप्प मैसेज के द्वारा आपको सूचना दी जा चुकी है कि बैठक सिर्फ और सिर्फ नैनी में हो  पायेगी ! और इसके बारे में मै प्रभुता से भी बात कर  चूका हूँ! मेरे  घर के दरवाजे हमेशा प्रभुता के लिए खुले है  !
और रही बात वैवाहिक रजिस्ट्रेशन की तो यह कार्य तभी पूर्ण हो पायेगा जब प्रभुता अपने घर वापस आ जाएगी !
आपसे अनुरोध है की शीघ अति शीघ आकर इस समस्या को निपटने की कृपा करे !
 
अंकुर मेहता 




प्रिय श्री अंकुर जी , 

     आपके द्वारा ,  अपनी  सदाशयता की भाषा के साथ , सभी तथ्यों को निराधार कहना , एवं असत्य घोषित  करना  ,  आपके पत्र में उल्लेखित ,  विषय , से मेल नहीं खाता है , जिसमें आपने , विशिष्ट रूप से , परिलक्षित करते हुए ,  " विवाद सुलझाने "   को ,  पत्र  का  आधार बनाया है ! आपके अनुसार , यदि कोई  तथ्य  आधार रूप में , उत्पन्न ही नहीं  हुए , तो फिर ' नैनी आकर विवाद सुलझाने "  की बाध्यता आप ने क्यों व्यक्त की है ? 

    ,  मैंने अपने पत्रों में घटनाओं का हवाला देकर ,  स्थितियां स्पष्ट की हैं ,,  ! मेरा उद्देश्य ना तो किसी को  आहत  करने का है , और  ना दोषारोपण का ! 

   जहां तक किसी मांग की बात है , उसका एक आडियो मेरे पास उपलब्ध है , जिसमें आपने   मांग हेतु ,  धन लेने को उचित बताते हुए ,  प्रभुता से , मेरे बारे में  व् मेरी पत्नी  के बारे में ,  अपशब्द  कहते हुए चर्चा की है !   यदि प्रभुता के माता पिता , आपके लिए वास्तव में आदर के पात्र हैं , तो उनके लिए , इस तरह के अपशब्द एवं मांग  व्यक्त नहीं होने चाहिए थे ! 

  खेद का विषय है  की माह , जुलाई में  , आप यद्यपि  अपनी  माताजी के साथ ,  नैनी आये , किन्तु तब आपने   अपने आगमन की  हमें सूचना , चर्चा की पहल हेतु नहीं दिए ,  बल्कि इसके विपरीत ,  हमारे द्वारा पूछे जाने पर ,  आपके पिताजी द्वारा यह बताया गया की आप नैनी आये ही नहीं है !   दिनांक १६-७-१८ को मैं जब स्वयं  , नैनी गया भी ,  तब भी  आपके परिवार ने इस बाबत कोई चर्चा नहीं की , ! 
  बल्कि दूसरी और ,  , आप नैनी आने का प्रोग्राम निरंतर टालते रहे ,,और  समयानुसार ,  विषयान्तर्गत ,   उल्लेखित, अपने कथित विवाद को ,    अपने स्तर पर , सुलझाने हेतु कभी  , गंभीर नहीं हुए ! 

   इन परिस्थितियों , में , तीन माहों से  , अपनी पुत्री को , मानसिक व्यथा झेलते हुए  देख कर , और आपके द्वारा निरंतर उसकी अवहेलना को देखते हुए , मैं स्वयं अत्यंत  " आहत " हूँ ,,! आपके द्वारा , एवं आपके परिवार के द्वारा  अपनी पुत्री के प्रति  किये गए ,  ,  असंगत व्यहार  को देख कर मेरा स्वास्थ्य भी निरंतर गिरा है , एवं सामाजिक रूप से मैं  खुद को आहत महसूस कर रहा हूँ !  

   उक्त सभी तथ्यों के बाद भी , चूंकि , आपका विवाह मेरी पुत्री के साथ ,  समाज के लोगों के बीच सतना में  संपन्न हुआ है , इसलिए ,  मेरा निवेदन है की आप अपने माता पिता के साथ , सतना आएं , और शाशन के  नियमान्तर्गत   , अपने विवाह का  पंजीयन करके , प्रमाणपत्र प्राप्त करें , जो की कानूनन ,  वरपक्ष का ही दायित्व है !  मुझे विश्वाश है , की आप स्थितियों को समझते हुए , , आपसी विश्वाश , सुरक्षा , और दायित्व  को पूर्ण करने  का कार्य  जरूर करेंगे ,, ताकि आपका दामपत्य जीवन सुखमय हो सके , व् मेरी  पुत्री  आपके आश्रय में स्वयं को , सुरक्षित महसूस कर सके ! 

  स्नेहाशीष सहित ,,, दीपावली की मंगल कामनाओं के साथ,  , आपके सतना आगमन की प्रतीक्षा में , 

---सभाजीत

SABHAJEET1 <sharma.sabhajeet@gmail.com>

Oct 28, 2018, 2:37 PM
to ANKUR
  प्रिय श्री अंकुर जी , 

     आपके द्वारा ,  अपनी  सदाशयता की भाषा के साथ , सभी तथ्यों को निराधार कहना , एवं असत्य घोषित  करना  ,  आपके पत्र में उल्लेखित ,  विषय , से मेल नहीं खाता है , जिसमें आपने , विशिष्ट रूप से , परिलक्षित करते हुए ,  " विवाद सुलझाने "   को ,  पत्र  का  आधार बनाया है ! आपके अनुसार , यदि कोई  तथ्य  आधार रूप में , उत्पन्न ही नहीं  हुए , तो फिर ' नैनी आकर विवाद सुलझाने "  की बाध्यता आप ने क्यों व्यक्त की है ? 

    ,  मैंने अपने पत्रों में घटनाओं का हवाला देकर ,  स्थितियां स्पष्ट की हैं ,,  ! मेरा उद्देश्य ना तो किसी को  आहत  करने का है , और  ना दोषारोपण का ! 

   जहां तक किसी मांग की बात है , उसका एक आडियो मेरे पास उपलब्ध है , जिसमें आपने   मांग हेतु ,  धन लेने को उचित बताते हुए ,  प्रभुता से , मेरे बारे में  व् मेरी पत्नी  के बारे में ,  अपशब्द  कहते हुए चर्चा की है !   यदि प्रभुता के माता पिता , आपके लिए वास्तव में आदर के पात्र हैं , तो उनके लिए , इस तरह के अपशब्द एवं मांग  व्यक्त नहीं होने चाहिए थे ! 

  खेद का विषय है  की माह , जुलाई में  , आप यद्यपि  अपनी  माताजी के साथ ,  नैनी आये , किन्तु तब आपने   अपने आगमन की  हमें सूचना , चर्चा की पहल हेतु नहीं दिए ,  बल्कि इसके विपरीत ,  हमारे द्वारा पूछे जाने पर ,  आपके पिताजी द्वारा यह बताया गया की आप नैनी आये ही नहीं है !   दिनांक १६-७-१८ को मैं जब स्वयं  , नैनी गया भी ,  तब भी  आपके परिवार ने इस बाबत कोई चर्चा नहीं की , ! 
  बल्कि दूसरी और ,  , आप नैनी आने का प्रोग्राम निरंतर टालते रहे ,,और  समयानुसार ,  विषयान्तर्गत ,   उल्लेखित, अपने कथित विवाद को ,    अपने स्तर पर , सुलझाने हेतु कभी  , गंभीर नहीं हुए ! 

   इन परिस्थितियों , में , तीन माहों से  , अपनी पुत्री को , मानसिक व्यथा झेलते हुए  देख कर , और आपके द्वारा निरंतर उसकी अवहेलना को देखते हुए , मैं स्वयं अत्यंत  " आहत " हूँ ,,! आपके द्वारा , एवं आपके परिवार के द्वारा  अपनी पुत्री के प्रति  किये गए ,  ,  असंगत व्यहार  को देख कर मेरा स्वास्थ्य भी निरंतर गिरा है , एवं सामाजिक रूप से मैं  खुद को आहत महसूस कर रहा हूँ !  

   उक्त सभी तथ्यों के बाद भी , चूंकि , आपका विवाह मेरी पुत्री के साथ ,  समाज के लोगों के बीच सतना में  संपन्न हुआ है , इसलिए ,  मेरा निवेदन है की आप अपने माता पिता के साथ , सतना आएं , और शाशन के  नियमान्तर्गत   , अपने विवाह का  पंजीयन करके , प्रमाणपत्र प्राप्त करें , जो की कानूनन ,  वरपक्ष का ही दायित्व है !  मुझे विश्वाश है , की आप स्थितियों को समझते हुए , , आपसी विश्वाश , सुरक्षा , और दायित्व  को पूर्ण करने  का कार्य  जरूर करेंगे ,, ताकि आपका दामपत्य जीवन सुखमय हो सके , व् मेरी  पुत्री  आपके आश्रय में स्वयं को , सुरक्षित महसूस कर सके ! 

  स्नेहाशीष सहित ,,, दीपावली की मंगल कामनाओं के साथ,  , आपके सतना आगमन की प्रतीक्षा में , 

---सभाजीत 

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प्रस्तुतकर्ता sabhajeet पर 5:04 am
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