बुधवार, 30 मई 2012

" घड़ी ..." 

















कलाई पर बँधी..,
' ज़ेनिवा ' स्विट्ज़रलेंड़ की बनी..,
'केवनिज़' घड़ी है..,
सेवनटीन्न ज्वेल्स जड़ी है...,!!


गोल डायल पर तीन काँटे..,
जैसे की दुनिया के गोले पर ...,
तीन लोग छाटे ..., 











आदतन तीनो अलग..,
एक ही पथ के पथिक ..,
युग से सजग..!!


एक की गति ' तीव्र ' ..,
दुनिया देखती मशहूर है...,
दूसरा कब चला ..,
यह बात और..,
पर खिसका ज़रूर है ..!!

और यार..!!,

तीसरे की 'गति' निरखने ..,
एक घंटा 'इंतज़ार.' .!!

करता है ' बोर.'...,.,
पर दर असल ..,
बात है कुछ और..!!

दुनिया को 'तीव्र गति' का ...,
लगा कर' मुखौटा '..,
तेज जो चलता ..,
वही परिमाण देता बहुत छोटा ...!!

और जिसकी चाल दिखती ही नही..,
'बड़ा ' है 'परिमाण' पहले से कहीं ..!!


तीसरा वो जिसकी खातिर इंतज़ार..!!,
वो ना हो डायल पर तो..,


मेरे सरकार..,
क्या नादानी है..,
'घड़ी' जिसको कह रहे हो..,
वह ' घड़ी' नही ..,
' चूनेदानी ' है..!!


__ सोरभ

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