" प्रेम ,,,,,,
प्रेम का अर्थ ,,,
' मांडू ' ओर ' ताजमहल ' की दीवारो पर ,
लिख दिया ,, इतिहासकारो ने ,
प्यार के जानकारो ने ,
पढ़ाये , हमें ,
उच्चतम शिखर पर
कलश मे मढे कुछ नाम ,
' लैला -मजनू " , ' शीरी -फरहाद " ,,,सलीम अनारकली '
वगेरह ,,वगेरह ,,!!
बचपन से ,
गणित के पहाड़ो की तरह ,
रेट रहे यही नाम , ,
यादो के बस्ते में ,
ठुसे रहे यही कागज़ ,
,,, प्यार के मायने ,,
एक ,,' नर ' एक ,मादा ' ,,!!
और टपकते रहे ,,, फटे बस्तों से ,
यहाँ -वहा , सब जगह ,
पेन्सिल और रबर की तरह ,,!!
निश्छल चांदनी से , नहाये
ब्रक्षो के झुण्ड ,
खिलखिलाती नदी ,
इठलाते समुद्र ,
गुनगुनाती धूप सेकते ,
उत्तंग शिखरों से ,,, जब हो गया प्यार मुझे ,
तो ,,, हंस दी दुनिया ,,
मेरी नासमझी पर ,,!!
गणित के समीकरण ने ,
उकसाया मुझे ,
प्यार के कुछ ,,,सवालो को हल करने के लिए ,
और में ढूंढता रहा , कलश के नामो के बीच ,
कुछ और बात ,
' भरत ' की नंगे पैर ,,' मनुहार ' ,,
और मूर्छित लक्ष्मण की छाती पर ,
' राम ' की अनवरत हिचकियाँ ,,,,!
अत्तेत के धुंए में विलीन हुए ,,
' सुदामा ' के दो मुट्ठी ,,चावल ,,
और सत्य के दीवाने ,
चांडाल ,,' हरिश्चंद्र ' का ' मृत्यु कर ' ,, मांगता ,,
फैला हाथ ,,!!
योग था की ' संयोग ' ,,
प्यार के व्यापारियों ने भी ,
बेचीं वही बाते ,
बार ,,बार ,,,हर बार ,,
कि बन गया ,
प्यार का ' अमृत घट ' ,,
' प्रेम रोग ' ,,!!
,,,,,,,,,,,,,,,, सभाजीत